बाबूओं के व्यवहार से जब शासन हुआ व्यथित, सोचा करना पड़ेगा उनको थोड़ा सा व्यवस्थित! ये आ बाबूओं के व्यवहार से जब शासन हुआ व्यथित, सोचा करना पड़ेगा उनको थोड़ा सा व्यवस्थ...
घर में घर में
मध्यांतर में मध्यांतर में
शीशे में शीशे में
क्या रिश्ता उससे मेरा है क्यूँ याद आती हर पल उसकी थम जाता दिल मेरा हैहर बातों में याद उसकी सुख दुःख ... क्या रिश्ता उससे मेरा है क्यूँ याद आती हर पल उसकी थम जाता दिल मेरा हैहर बातों मे...
धड़कनों में भी हर पल धड़कते तुम्हीं ज़िन्दगी के भी अन्तिम सहारे हो तुम। धड़कनों में भी हर पल धड़कते तुम्हीं ज़िन्दगी के भी अन्तिम सहारे हो तुम।